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1.7 लाख मीट्रिक टन आयरन अयस्क विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ को मध्यस्थ नियुक्त किया

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने 1.7 लाख मीट्रिक टन आयरन अयस्क विवाद में पूर्व CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ को मध्यस्थ नियुक्त कर आठ हफ्ते तक सभी कार्यवाही रोकी।

1.7 लाख मीट्रिक टन आयरन अयस्क विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ को मध्यस्थ नियुक्त किया

नई दिल्ली की कोर्ट नंबर 8 में शुक्रवार को हलचल भरा माहौल था, जब सुप्रीम कोर्ट ने एक तीखे व्यावसायिक विवाद को शांत करने के लिए हस्तक्षेप किया। जस्टिस जे.बी. पारडीवाला और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने 1.7 लाख मीट्रिक टन आयरन अयस्क पर चल रहे कटु संघर्ष को “अब बहुत हो चुका” बताते हुए रोकने का फैसला किया। न्यायाधीशों ने पूर्व भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़ को मध्यस्थ नियुक्त किया और कहा कि बातचीत से ही इस मामले का समाधान संभव है।

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पृष्ठभूमि

मामला 3 अप्रैल 2023 के उस समझौते से जुड़ा है, जिसमें भारी मात्रा में आयरन अयस्क के परिवहन और बिक्री की बात तय हुई थी। जल्द ही यूरो प्रतीक इस्पात (इंडिया) प्रा. लि. और जियोमिन इंडस्ट्रीज प्रा. लि. के बीच इस समझौते के क्रियान्वयन को लेकर टकराव शुरू हो गया। जुलाई 2024 में वाणिज्यिक अदालत ने वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम की धारा 12A का पालन न करने के कारण वाद को खारिज कर दिया, जिसमें आम तौर पर मुकदमा दर्ज करने से पहले मध्यस्थता आवश्यक होती है।

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लेकिन 11 अगस्त 2025 को जबलपुर स्थित मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने इस वाद को फिर से जीवित कर दिया। कोर्ट ने माना कि कंपनियां तात्कालिक अंतरिम राहत चाह रही थीं। हाई कोर्ट ने जियोमिन को आयरन अयस्क को ले जाने या बेचने से रोका और निचली अदालत को मामला फिर से सुनने को कहा। इससे असंतुष्ट होकर यूरो प्रतीक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।

अदालत की टिप्पणियाँ

सुनवाई के दौरान दोनों ओर से दिग्गज वकीलों ने अपनी दलीलें रखीं-यूरो प्रतीक की ओर से डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी और जियोमिन की ओर से गोपाल सुब्रमणियम। लेकिन न्यायाधीशों ने कानूनी पेचीदगियों को अलग रखते हुए सीधी बात की। पीठ ने टिप्पणी की, “यह मुकदमा दिन-ब-दिन और उलझता जा रहा है,” और संकेत दिया कि बहसों को लंबा खींचना सिर्फ समय और धन की बर्बादी होगी। उन्होंने मध्यस्थता का सुझाव दिया, जिसे दोनों वरिष्ठ वकीलों ने सहर्ष स्वीकार किया।

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एक वकील ने बाहर आकर कहा, “पीठ ने अवलोकन किया, ‘विवाद की प्रकृति और दांव को देखते हुए, इस अदालत के पूर्व न्यायाधीश के समक्ष मध्यस्थता ही न्याय के हित में है।’”

फैसला

संयुक्त सहमति को स्वीकार करते हुए पीठ ने औपचारिक रूप से डॉ. जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ को मध्यस्थ नियुक्त किया। उनकी फीस दोनों पक्षों की सहमति से तय होगी और उनसे जल्द से जल्द रिपोर्ट देने की अपेक्षा की गई है। जब तक मध्यस्थता पूरी नहीं होती, दोनों कंपनियों को मौजूदा स्थिति बनाए रखनी होगी-न तो अयस्क बेचा जा सकता है, न ही कहीं ले जाया सकता है। उनके बीच लंबित किसी भी दीवानी या आपराधिक कार्यवाही को भी फिलहाल रोक दिया गया है।

आठ हफ्ते बाद यह मामला आगे की दिशा तय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में फिर सूचीबद्ध होगा। इस स्पष्ट आदेश के साथ अदालत की कार्यवाही समाप्त हुई और अब अगला कदम गवाहों के कटघरे के बजाय बातचीत की मेज़ पर होगा।

मामले का शीर्षक: यूरो प्रतीक इस्पात (भारत) प्राइवेट लिमिटेड बनाम जियोमिन इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड

आदेश की तिथि: 19 सितंबर 2025

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