मंगलवार सुबह खचाखच भरी अदालत में सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के पुनर्विकास क्षेत्र को सख्त संदेश दिया: सिर्फ इसलिए कि किसी डेवलपर ने वर्षों तक बड़े स्लम प्रोजेक्ट पर काम किया है, उससे यह अधिकार नहीं मिल जाता कि वह जमीन मालिक के प्राथमिक अधिकारों को किनारे कर दे। जस्टिस जे.बी. पारदीवाला की अगुवाई वाली पीठ ने ज्योति बिल्डर्स की अपील खारिज कर दी और राज्य सरकार को मालाड स्थित 2,005 वर्गमीटर के प्लॉट-जो कि मनोरंजन मैदान (Recreational Ground/RG) के रूप में आरक्षित है-का जबरन अधिग्रहण करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया।
अदालत ने माना कि इस विवाद में कई दशक पुराना इतिहास, विवादित MoU, SRA के बदलते रुख और 34 स्लम निवासियों के पुनर्वास को लेकर दो अलग-अलग दावे शामिल थे।
पृष्ठभूमि
यह जमीन-CTS No. 620, मालाड का हिस्सा-मूल रूप से फूलदई यादव के स्वामित्व में थी, जिसे 2022 में अल्केमी डेवलपर्स को बेच दिया गया। ज्योति बिल्डर्स ने 12,606 वर्गमीटर के बड़े प्लॉट को विकसित कर लगभग 498 स्लम निवासियों का पुनर्वास किया था, लेकिन यह छोटा हिस्सा अपने आप में उलझा हुआ था।
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1992 का अवैध (अनरजिस्टर्ड) MoU, जो फूलदई और डेवलपर (हरीश्री एंटरप्राइजेज) के बीच हुआ था, वर्षों पहले ही टूट गया था। इस MoU के लिए दायर मुकदमा 2000 में खारिज हो गया। इसी बीच, SRA के 2015 के आदेश में कहा गया था कि इस जमीन का अधिग्रहण कर उसे BMC को RG के रूप में दिया जाए-लेकिन यह संभव नहीं हो सका, क्योंकि इस तरह की RG जमीन पर स्लम स्कीम लागू करने पर बॉम्बे हाई कोर्ट की रोक लगी हुई थी।
यह रोक 1 मार्च 2022 को हटाई गई। इसके तुरंत बाद फूलदई ने प्लॉट अल्केमी डेवलपर्स को बेच दिया और उन्होंने नई पुनर्विकास योजना प्रस्तुत कर दी।
अदालत की टिप्पणियाँ
पीठ ने SRA के 2015 आदेश के बाद सात वर्षों तक अधिग्रहण की मांग न करने पर ज्योति बिल्डर्स को कठोर टिप्पणी सुनाई। अदालत ने कहा, “2015 से 2022 के बीच ज्योति ने क्या किया?” और यह भी कहा कि अब अदालत का दरवाज़ा खटखटाना “पीछे के दरवाज़े से जमीन हासिल करने” जैसा प्रतीत होता है।
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पीठ ने कई महत्वपूर्ण बातें स्पष्ट कीं:
1. मालिक के प्राथमिक अधिकार सर्वोपरि
तराबाई नगर और सलदान्हा रियल एस्टेट जैसे हालिया फैसलों का उल्लेख करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुनर्विकास का पहला अवसर हमेशा भूमि-स्वामी को दिया जाना चाहिए। और जब तक मालिक स्वयं योजना लाता है, अधिग्रहण की कोई आवश्यकता ही उत्पन्न नहीं होती।
“जब तक मालिक स्वयं विकास करने के लिए तैयार है… तब तक अधिग्रहण नहीं हो सकता,” अदालत ने कहा।
चूंकि अल्केमी डेवलपर्स ने अप्रैल 2022 में वैध योजना प्रस्तुत की, इसलिए मालिक का अधिकार सुरक्षित रहा।
2. सिर्फ इसलिए अधिकार नहीं मिल जाते कि डेवलपर ने स्लम निवासियों का पुनर्वास किया
अदालत ने माना कि ज्योति बिल्डर्स ने पहले से ही 34 स्लम निवासियों को पुनर्वासित किया है, पर इससे उन्हें जमीन पर कोई स्वामित्व जैसा अधिकार नहीं मिल जाता।
“यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे की जमीन से स्लम हटाता है, तो इससे उसे उस जमीन पर अधिकार नहीं मिल जाता,” पीठ ने कहा।
3. RG प्लॉट के कारण SRA अधिग्रहण पहले कर ही नहीं सकता था
करीब 20 वर्षों तक हाई कोर्ट की रोक ने सरकार को ऐसे प्लॉटों पर कोई नई स्लम योजना मंजूर करने से रोके रखा। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SRA के लिए 2015 के आदेश को लागू करना व्यावहारिक रूप से असंभव था।
4. 34 स्लम निवासियों से जुड़ा FSI लाभ पहले ही मिल चुका
अदालत ने पाया कि ज्योति बिल्डर्स ने इन 34 निवासियों को PAP के रूप में दिखाकर उससे जुड़े FSI लाभ प्राप्त कर लिए हैं, भले ही इस विशेष प्लॉट का FSI LOI में वर्षों से रोका गया था।
निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला बरकरार रखा और अपील खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि मालिक का प्राथमिक अधिकार अभी भी जीवित है और प्रयोग भी किया जा चुका है। इसलिए इस चरण पर राज्य को जमीन अधिग्रहित करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
मामला यहीं समाप्त होता है-अल्केमी डेवलपर्स की योजना कानून के अनुसार आगे बढ़ सकती है, जबकि ज्योति बिल्डर्स को उन्हीं लाभों पर संतोष करना होगा जो उन्हें पहले ही मिल चुके हैं।
Case Title: Jyoti Builders vs. Chief Executive Officer & Others
Case No.: Civil Appeal No. 14512 of 2025 (arising out of SLP (C) No. 3405 of 2025)
Case Type: Civil Appeal (Supreme Court – Civil Appellate Jurisdiction)
Decision Date: 18 December 2024 (High Court Order Challenged) / Supreme Court Judgment Published in 2025 INSC 1372










