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सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को ज्योत्स्ना सिंह को पूर्व प्रभाव से पदोन्नति और लाभ देने का निर्देश दिया

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को निर्देश दिया कि ज्योत्स्ना सिंह को पूर्व प्रभाव से पदोन्नति, लाभ और पेंशन संशोधन चार माह में दिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को ज्योत्स्ना सिंह को पूर्व प्रभाव से पदोन्नति और लाभ देने का निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसले में झारखंड सरकार के उस रुख को खारिज कर दिया जिसमें सेवानिवृत्त अधिकारी ज्योत्स्ना सिंह को पूर्व प्रभाव से पदोन्नति देने से इनकार किया गया था। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि सिंह को उनकी कनिष्ठ सहयोगी के समान तिथि से पदोन्नत माना जाए और सभी वित्तीय व पेंशन संबंधी लाभ दिए जाएँ।

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पृष्ठभूमि

सिंह, जिन्होंने ब्लॉक विकास पदाधिकारी के रूप में सेवा की और बाद में झारखंड प्रशासनिक सेवा में उच्च पदों पर पहुँचीं, उन्हें वर्षों तक चले विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ा। मामला 2007 की ऑडिट आपत्ति से जुड़ा था, जिसमें ₹5.6 लाख की कथित गड़बड़ी का जिक्र था। 2009 में ही उपायुक्त और राज्य ऑडिट टीम ने उन्हें निर्दोष पाया। फिर भी, लगभग दस साल बाद 2017 में चार्जशीट जारी की गई और 2019 में उनकी वेतनवृद्धि रोकने की सज़ा दी गई।

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बाद में हाईकोर्ट ने इस अनुशासनात्मक कार्रवाई को रद्द कर दिया और इसे “झूठी कार्यवाही” बताया, जिसे 10 साल की अनुचित देरी के बाद शुरू किया गया था। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि सिंह की पदोन्नति और लाभों पर दोबारा विचार किया जाए।

अदालत की टिप्पणियाँ

सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि जहाँ सिंह की कनिष्ठ, उमा महतो, मार्च 2020 में संयुक्त सचिव पद पर पदोन्नत कर दी गईं, वहीं सिंह को यह पद केवल नवंबर 2022 में मिला-जबकि उनकी सेवानिवृत्ति नज़दीक थी। राज्य का तर्क था कि पाँच साल की सेवा नियम और लंबित दंड के चलते वह पात्र नहीं थीं।

इसे ठुकराते हुए न्यायमूर्ति चंद्रन ने कहा, “दंड को रद्द कर दिया गया है और विभागीय कार्यवाही को सिद्धांतों के उल्लंघन में पाया गया। पूर्व प्रभाव से पदोन्नति सहित परिणामी लाभ पहले ही दिए जाने का निर्देश था। अपीलकर्ता को उसी तारीख से माना जाना चाहिए जिस दिन उनकी कनिष्ठ को पदोन्नत किया गया।”

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पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि जब महतो के मामले में सेवा अवधि की शर्त को शिथिल किया गया, तो सिंह को उसी तरह से वंचित नहीं किया जा सकता।

फैसला

अपील को स्वीकार करते हुए अदालत ने आदेश दिया कि सिंह को 13 मार्च 2020 से संयुक्त सचिव पद पर पदोन्नत माना जाए-यानी उसी दिन जब उनकी कनिष्ठ को यह पद मिला। अदालत ने झारखंड सरकार को निर्देश दिया कि वेतन, भत्ते और पेंशन की दोबारा गणना की जाए और इन्हें नए आदेशों के साथ तय किया जाए।

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राज्य सरकार को यह प्रक्रिया चार महीने में पूरी करनी होगी। अदालत ने कहा कि अगर समय पर भुगतान हो जाता है तो सिंह ब्याज नहीं माँगेंगी, लेकिन देरी होने पर 7% ब्याज लगेगा और यह राशि संबंधित अधिकारियों से वसूली जा सकती है।

इसके साथ ही सिंह की लंबी लड़ाई को न्यायिक मुहर मिल गई, और सर्वोच्च न्यायालय ने साफ संदेश दिया कि “न्याय में देरी का मतलब न्याय से इनकार नहीं हो सकता।”

मामला: ज्योत्सना सिंह बनाम झारखंड राज्य एवं अन्य

मामला संख्या: सिविल अपील @ विशेष अनुमति याचिका (सी) संख्या 15932/2024

निर्णय की तिथि: 22 सितंबर, 2025

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