22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम मामले की सुनवाई जारी रखी जिसमें यह तय किया जाना है कि क्या ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स और कसीनो को जुए के तहत माना जा सकता है और क्या उन पर 28% वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाया जा सकता है। कोर्ट यह भी देख रहा है कि क्या कसीनों और प्लेटफॉर्म्स पर पूरी दांव की राशि (Face Value of Bets) पर GST लगाया जा सकता है।
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ कर रही है। यह याचिका 2023 में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देती है, जिसमें Gameskraft नामक ऑनलाइन गेमिंग कंपनी के पक्ष में निर्णय हुआ था। हाईकोर्ट ने माना था कि Gameskraft पर जुए के समान GST नहीं लगाया जा सकता। इस फैसले को GST विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के ऐसे सभी मामलों को अपने पास ट्रांसफर कर लिया, और 10 जनवरी के एक आदेश में सभी शो-कॉज नोटिस पर रोक लगा दी, जिनमें से कई समयसीमा पार कर चुके थे।
सिक्किम और गोवा के दो कसीनों की ओर से पेश वकील ने दलील दी:
“जो दांव खिलाड़ी लगाते हैं, वह कभी भी 'जीत के अधिकार' का मूल्य नहीं हो सकता जैसा कि GST अधिनियम की धारा 15(1) में परिभाषित है। कैसीनो को यह राशि प्राप्त नहीं होती, इसलिए इसे वस्तु या सेवा की आपूर्ति की कीमत नहीं माना जा सकता।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि GST सेवा की आपूर्ति पर लगना चाहिए, दांव की राशि पर नहीं, क्योंकि:
“हम जो टैक्स लगा रहे हैं वह दांव पर नहीं है। वह ‘जीत के अधिकार’ की आपूर्ति पर है।”
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वकील ने कसीनों में उपलब्ध दो प्रकार के खेलों को समझाया:
- खिलाड़ी बनाम खिलाड़ी (जैसे: पोकर, तीन पत्ती):
इन खेलों में कैसीनो सिर्फ सुविधा प्रदान करता है। खिलाड़ी एक-दूसरे से दांव लगाते हैं, और कैसीनो सिर्फ पॉट का एक प्रतिशत शुल्क लेता है। “दांव की राशि कैसीनो को प्राप्त नहीं होती। वह सिर्फ पॉट से एक प्रतिशत कमाता है।” - खिलाड़ी बनाम कैसीनो (जैसे: रूले):
इसमें जीत या हार सीधे टेबल पर तय होती है। अगर खिलाड़ी जीतता है तो कैसीनो भुगतान करता है, नहीं तो राशि उसके पास रहती है। “यहां भी कैसीनो को पूरी दांव राशि नहीं मिलती। यह सिर्फ संभावना (Probability) पर आधारित है।”
रूले गेम के उदाहरण में वकील ने कहा:
“अगर मैं एक नंबर पर दांव लगाता हूं, मेरी जीत की संभावना 1/36 है। जितनी कम संभावना, उतना अधिक इनाम। अगर मैं काले रंग पर दांव लगाता हूं, तो संभावना 50% है और मुझे मेरी दांव राशि बराबर मिलती है।”
न्यायमूर्ति पारदीवाला ने पूछा:
“क्या ऐसा हो सकता है कि सभी खिलाड़ी अपना दांव हार जाएं?”
वकील ने उत्तर दिया:
“हां, उस स्थिति में कैसीनो को वह राशि मिलती है और वह उसका राजस्व बन जाता है।”
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पहले की सुनवाई में कोर्ट ने पूछा था कि क्या चिप्स की बिक्री को Section 15(1) के तहत टैक्स योग्य माना जा सकता है। इस पर वकील ने कहा:
“चिप्स की बिक्री पर कोई ‘जीत का अधिकार’ नहीं बनता। यह सिर्फ धन का विनिमय है और जब तक इसमें कोई कमीशन या सेवा शामिल नहीं होती, यह GST के तहत नहीं आता।”
इस मामले की सुनवाई अगले दिन भी जारी रहेगी।
मामले का विवरण:
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स इंटेलिजेंस मुख्यालय बनाम Gameskraft Technologies प्राइवेट लिमिटेड
SLP(C) No. 19366-19369/2023