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सुप्रीम कोर्ट ने दुर्गापुर बायो गार्डन शेयर विवाद में NCLAT के फैसले को बरकरार रखा

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने दुर्गापुर बायो गार्डन प्रा. लि. की अपील को खारिज कर दिया और NCLAT के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें शेयर ट्रांसफर में अनियमितताओं और दमन के आरोपों को सही ठहराया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने दुर्गापुर बायो गार्डन शेयर विवाद में NCLAT के फैसले को बरकरार रखा

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में Durgapur Bio Garden Pvt. Ltd. & Others द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया, जिसमें 03.11.2017 को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) द्वारा दिए गए फैसले को चुनौती दी गई थी। यह मामला अपीलकर्ताओं द्वारा दमन और कुप्रबंधन के आरोपों से संबंधित था, जो उत्तरदाताओं ने लगाए थे।

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विवाद की पृष्ठभूमि

यह मामला तब शुरू हुआ जब उत्तरदाताओं ने 2015 में कंपनी लॉ बोर्ड (अब NCLT), कोलकाता बेंच के समक्ष याचिका दायर की। उनका आरोप था कि अपीलकर्ताओं ने उनके इस्तीफे के पत्रों में हेरफेर की और उनकी सहमति के बिना शेयर ट्रांसफर कर दिए।

हालांकि, 2017 में NCLT ने याचिका को देरी और लापरवाही (delay and laches) के आधार पर खारिज कर दिया, यह बताते हुए कि कथित ट्रांसफर 2007 में हुआ था, लेकिन याचिका 2015 में दायर की गई थी। ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि शेयर ट्रांसफर वैध था।

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उत्तरदाताओं ने NCLT के आदेश को NCLAT में चुनौती दी, जिसने उस निर्णय को पलट दिया।

“हम उत्तरदाताओं की इस दलील में कोई दम नहीं पाते कि याचिका दाखिल करने में देरी हुई... NCLT ने याचिका को गलत ढंग से पढ़ा और कहा कि यह समयसीमा से बाहर थी।” – NCLAT की टिप्पणी

NCLAT ने शेयर ट्रांसफर की प्रक्रिया में निम्नलिखित अनियमितताएं पाईं:

  • शेयर ट्रांसफर फॉर्म में कंपनी का नाम, शेयरों की संख्या, सर्टिफिकेट नंबर जैसी जरूरी जानकारी नहीं थी और उस पर आवश्यक स्टांप भी नहीं लगा था।
  • दस्तावेजों में विरोधाभास: इस्तीफा पत्र मार्च 2007 का था, लेकिन भुगतान के चेक नवंबर 2007 के थे।
  • कंपनी के अपने रिकॉर्ड्स 2012 तक अपीलकर्ताओं को डायरेक्टर दिखा रहे थे।
  • एक निदेशक जिसे 2008 में नियुक्त किया गया था, उसने 2006 की रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए थे।
  • बैंक से सेटलमेंट के लिए लिए गए सिग्नेचर का दुरुपयोग हुआ।

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“उत्तरदाता अपीलकर्ताओं को अवैध रूप से कंपनी से बाहर रख रहे हैं और उन्हें कंपनी के कार्यों में भाग लेने से वंचित कर रहे हैं।” – NCLAT का निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के विस्तृत निष्कर्षों से सहमति जताई और अपील को खारिज कर दिया, यह कहते हुए:

“हम मानते हैं कि NCLAT द्वारा दिए गए तथ्यात्मक निष्कर्ष अचल हैं। कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने तथ्य या कानून में कोई गलती नहीं की है।”

अतः सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के फैसले को बरकरार रखा और सभी लंबित आवेदनों को समाप्त कर दिया।

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  • अपील खारिज
  • NCLAT का आदेश बरकरार
  • कोई लागत नहीं दी गई

केस का शीर्षक: दुर्गापुर बायो गार्डन प्राइवेट लिमिटेड एवं अन्य बनाम निराकार दाश एवं अन्य

केस का प्रकार: सिविल अपील

सिविल अपील संख्या: 3298/2018

निर्णय तिथि: 30 जुलाई 2025