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केरल हाईकोर्ट: विवाहित महिला झूठे विवाह के वादे पर यौन संबंध का आरोप नहीं लगा सकती – धारा 69 बीएनएस के तहत राहत

Shivam Y.

केरल हाईकोर्ट ने बीएनएस की धारा 69 और 84 के तहत आरोपी को जमानत दी, कहा कि विवाहित महिला झूठे विवाह के वादे पर यौन उत्पीड़न का दावा नहीं कर सकती। जानें पूरी केस डिटेल और कोर्ट की टिप्पणी।

केरल हाईकोर्ट: विवाहित महिला झूठे विवाह के वादे पर यौन संबंध का आरोप नहीं लगा सकती – धारा 69 बीएनएस के तहत राहत

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्त्वपूर्ण फैसले में उस व्यक्ति को जमानत दे दी जिसे एक विवाहित महिला से झूठे विवाह के वादे पर यौन संबंध बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। यह आदेश XXX बनाम राज्य केरल एवं अन्य [बेल आवेदन संख्या 7916/2025] में जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस द्वारा पारित किया गया, जिसमें भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 69 और 84 के तहत दर्ज केस की वैधता की समीक्षा की गई।

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याचिकाकर्ता सायूज एस. को 13 जून 2025 को मलप्पुरम पुलिस स्टेशन में दर्ज अपराध संख्या 755/2025 के तहत गिरफ्तार किया गया था। उनके विरुद्ध बीएनएस की धारा 84 (दुष्ट इरादे से विवाहित महिला को बहलाना या ले जाना) और धारा 69 (धोखे से यौन संबंध) के तहत आरोप लगाए गए थे।

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अभियोजन पक्ष का आरोप था कि आरोपी ने शिकायतकर्ता, जो कि एक विवाहित महिला हैं, से झूठे विवाह के वादे पर यौन संबंध बनाए। इसके बाद उसने उसकी निजी तस्वीरें और वीडियो सार्वजनिक करने की धमकी दी और ₹2.5 लाख भी उधार लिए।

हालांकि, अदालत ने धारा 69 बीएनएस की वैधता को लेकर गंभीर संदेह जताया।

“एक बार जब अभियोजन पक्ष स्वयं यह स्वीकार करता है कि शिकायतकर्ता एक विवाहित महिला है, तो विवाह के वादे पर यौन संबंध का आरोप नहीं लगाया जा सकता,” अदालत ने टिप्पणी की।

न्यायालय ने अनिल कुमार बनाम राज्य केरल [2021 (1) KHC 435] और रंजीत बनाम राज्य केरल [2022 (1) KLT 19] जैसे पुराने मामलों का हवाला देते हुए कहा कि यदि किसी पक्ष की वैवाहिक स्थिति दोनों को ज्ञात हो, तो विवाह का वादा कानूनी रूप से मान्य नहीं होता।

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“यदि दोनों पक्षों को एक वैवाहिक संबंध की जानकारी हो, तो यह नहीं कहा जा सकता कि उनके बीच यौन संबंध विवाह के वादे पर आधारित थे,” कोर्ट ने दोहराया।

अदालत ने यह भी कहा कि वह अभी इस स्तर पर यह तय नहीं कर सकती कि संबंध सहमति से बने या नहीं। इसके लिए मुकदमे के दौरान पूरी परिस्थितियों की जांच आवश्यक होगी।

जहां एक ओर धारा 69 एक गैर-जमानती अपराध है, वहीं धारा 84 एक जमानती अपराध है। अदालत ने माना कि धारा 84 के अंतर्गत आरोप मुख्य रूप से लागू होता है, इसलिए अभियुक्त को जेल में बनाए रखने की आवश्यकता नहीं है।

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इसलिए, अदालत ने सख्त शर्तों के साथ जमानत प्रदान की, जिनमें शामिल हैं:

  • ₹50,000 की निजी मुचलके पर दो जमानतदारों के साथ रिहाई।
  • जांच में सहयोग देना और किसी भी सबूत से छेड़छाड़ न करना।
  • शिकायतकर्ता या उसके परिवार से संपर्क न करना या डराना-धमकाना नहीं।
  • भारत से बाहर जाने के लिए अदालत की अनुमति अनिवार्य।
  • जमानत की शर्तों का उल्लंघन न करना।

अदालत ने स्पष्ट किया कि यह टिप्पणियाँ केवल जमानत याचिका के निपटारे के लिए की गई हैं और इनका आपराधिक मुकदमे की सुनवाई पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

केस का शीर्षक: XXX बनाम केरल राज्य और अन्य

केस संख्या: जमानत आवेदन संख्या 7916/2025

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