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झारखंड उच्च न्यायालय ने ईडी मामले में सौरव बर्धन को अंतिम आत्मसमर्पण की समयसीमा दी, सर्वोच्च न्यायालय के कानून का हवाला देते हुए पहले के जमानत आदेश में संशोधन किया।
रांची स्थित झारखंड उच्च न्यायालय में एक जाना-पहचाना मामला फिर से सुनवाई के लिए आया। न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक मामले में आरोपी सौरभ बर्धन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें अदालत द्वारा निर्धारित समय सीमा चूक जाने के बाद आत्मसमर्पण के लिए और समय मांगा गया था। कागजों पर यह मामला प्रक्रियात्मक प्रतीत होता था, लेकिन मुकदमे की प्रगति पर इसके गंभीर परिणाम हो सकते थे।
यह मामला 7 फरवरी 2025 के उस आदेश से जुड़ा है, जिसमें हाईकोर्ट ने सौरव बर्धन को राहत देते हुए एक स्पष्ट शर्त रखी थी। आदेश के अनुसार, उन्हें दो सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण कर जमानत बांड दाखिल करना था। यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट के तरसेम लाल बनाम प्रवर्तन निदेशालय फैसले के अनुरूप था।
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झारखंड उच्च न्यायालय ने ईडी मामले में सौरव बर्धन को अंतिम आत्मसमर्पण की समयसीमा दी, सर्वोच्च न्यायालय के कानून का हवाला देते हुए पहले के जमानत आदेश में संशोधन किया।
रांची स्थित झारखंड उच्च न्यायालय में एक जाना-पहचाना मामला फिर से सुनवाई के लिए आया। न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक मामले में आरोपी सौरभ बर्धन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें अदालत द्वारा निर्धारित समय सीमा चूक जाने के बाद आत्मसमर्पण के लिए और समय मांगा गया था। कागजों पर यह मामला प्रक्रियात्मक प्रतीत होता था, लेकिन मुकदमे की प्रगति पर इसके गंभीर परिणाम हो सकते थे।
यह मामला 7 फरवरी 2025 के उस आदेश से जुड़ा है, जिसमें हाईकोर्ट ने सौरव बर्धन को राहत देते हुए एक स्पष्ट शर्त रखी थी। आदेश के अनुसार, उन्हें दो सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण कर जमानत बांड दाखिल करना था। यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट के तरसेम लाल बनाम प्रवर्तन निदेशालय फैसले के अनुरूप था।
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झारखंड उच्च न्यायालय ने ईडी मामले में सौरव बर्धन को अंतिम आत्मसमर्पण की समयसीमा दी, सर्वोच्च न्यायालय के कानून का हवाला देते हुए पहले के जमानत आदेश में संशोधन किया।
रांची स्थित झारखंड उच्च न्यायालय में एक जाना-पहचाना मामला फिर से सुनवाई के लिए आया। न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक मामले में आरोपी सौरभ बर्धन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें अदालत द्वारा निर्धारित समय सीमा चूक जाने के बाद आत्मसमर्पण के लिए और समय मांगा गया था। कागजों पर यह मामला प्रक्रियात्मक प्रतीत होता था, लेकिन मुकदमे की प्रगति पर इसके गंभीर परिणाम हो सकते थे।
यह मामला 7 फरवरी 2025 के उस आदेश से जुड़ा है, जिसमें हाईकोर्ट ने सौरव बर्धन को राहत देते हुए एक स्पष्ट शर्त रखी थी। आदेश के अनुसार, उन्हें दो सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण कर जमानत बांड दाखिल करना था। यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट के तरसेम लाल बनाम प्रवर्तन निदेशालय फैसले के अनुरूप था।



































