बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने धमतरी जिले में एक महिला दुकान आवंटी को जारी किए गए तोड़फोड़ नोटिस को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि अधिकारियों ने बिना निष्पक्ष सुनवाई के कार्रवाई की। न्यायमूर्ति संजय एस. अग्रवाल ने 4 सितंबर 2025 को यह आदेश दिया। यह याचिका कोमल देवी पंजाबी द्वारा दायर की गई थी।
पृष्ठभूमि
48 वर्षीय कोमल देवी, जो नगरी की निवासी हैं, को अक्टूबर 2019 में नगर पंचायत परिषद के एक प्रस्ताव के जरिए इंदिरा मार्केट कॉम्प्लेक्स में दुकान आवंटित की गई थी। उन्होंने ₹50,000 प्रीमियम जमा किया और ₹460 मासिक किराए पर सहमति दी। लेकिन फरवरी 2020 में मुख्य नगरपालिका अधिकारी ने अचानक आदेश जारी कर दिया कि वह 24 घंटे में दुकान खाली करें, अन्यथा उनके द्वारा निर्मित ढांचे को तोड़ दिया जाएगा।
उनकी ओर से दलील दी गई कि यह निष्कासन आदेश राज्य सरकार के 6 फरवरी 2020 के निर्देश पर आधारित था, लेकिन उन्हें कभी अपनी बात रखने का अवसर नहीं दिया गया। अधिवक्ता ने अदालत से कहा, “आवंटन नगरपालिका अधिनियम की धारा 109 के तहत वैध था, फिर भी अधिकारियों ने मनमाने तरीके से कार्रवाई की।”
अदालत की टिप्पणियाँ
राज्य और नगर निकाय के वकीलों ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह आवंटन छत्तीसगढ़ नगरपालिकाएँ (अचल संपत्ति हस्तांतरण) नियम, 1996 के खिलाफ था। उनका कहना था कि जांच में गड़बड़ी सामने आई और इसलिए आवंटन रद्द किया गया।
लेकिन अदालत ने प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण माना। न्यायमूर्ति अग्रवाल ने कहा, “निर्णय याचिकाकर्ता की पीठ पीछे लिया गया। यहां तक कि जांच रिपोर्ट की प्रति भी उपलब्ध नहीं कराई गई।” उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी गंभीर कार्रवाई से पहले सुनवाई का अवसर देना अनिवार्य है। न्यायाधीश ने यह भी उल्लेख किया कि याचिकाकर्ता लगातार किराया चुका रही थीं, जो उनके वैध आवंटन के दावे को मजबूत करता है।
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निर्णय
निष्कर्ष में, अदालत ने कहा कि 25 फरवरी 2020 का निष्कासन नोटिस अवैध और मनमाना है। हाईकोर्ट ने इसे रद्द करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि कोमल देवी को उचित सुनवाई का अवसर दें और उसके बाद ही कोई आगे की जांच या कार्रवाई करें। इन निर्देशों के साथ, याचिका का निस्तारण कर दिया गया।
केस का शीर्षक: श्रीमती कोमल देवी पंजाबी बनाम छत्तीसगढ़ राज्य एवं अन्य
केस संख्या: डब्ल्यूपीसी संख्या 828/2020
निर्णय की तिथि: 4 सितंबर 2025