पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला दिया कि अमरिंदर सिंह और उनके बेटे रणिंदर सिंह के टैक्स चोरी केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को अदालत में दायर गोपनीय रिकॉर्ड की जांच की अनुमति देना भारत-फ्रांस डबल टैक्सेशन अवॉयडेंस एग्रीमेंट के तहत गोपनीयता नियमों का उल्लंघन नहीं करता है।
कोर्ट ने कहा:
“ईडी को रिकॉर्ड की जांच करने की अनुमति देने में कोई कानूनी बाधा नहीं है, क्योंकि ईडी एक वैधानिक संस्था है और जांच के लिए न्यायिक रिकॉर्ड देखने की हकदार है।”
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मामले की पृष्ठभूमि
2016 में, आयकर विभाग ने अमरिंदर सिंह और उनके बेटे रणिंदर सिंह पर विदेशी संपत्तियों और स्विस बैंक खातों (HSBC Private Bank Geneva सहित) छिपाने का आरोप लगाया। विभाग को विदेशी अधिकारियों से मिली जानकारी में दोनों को विदेशी संस्थाओं से जोड़ने के प्रमाण मिले थे ।
आयकर विभाग ने दोनों के खिलाफ क्रिमिनल शिकायतें दर्ज कीं, जिसमें इनकम टैक्स एक्ट और भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के उल्लंघन का आरोप था। बाद में ईडी ने फेमा (FEMA) के तहत जांच के लिए अदालत के दस्तावेजों का निरीक्षण करने की अनुमति मांगी।
सिंह परिवार ने ईडी को निरीक्षण की अनुमति देने के आदेश को चुनौती दी, उनका तर्क था कि भारत-फ्रांस DTAA के अनुच्छेद 28 के तहत जानकारी गोपनीय रहनी चाहिए। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेशों को उद्धृत करते हुए स्पष्ट किया कि गोपनीयता समझौता अदालत की कार्यवाही या आधिकारिक जांच में जानकारी साझा करने से नहीं रोकता।
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जज ने आदेश में कहा:
“जानकारी ईडी द्वारा जांच के लिए मांगी जा रही है, ना कि आमजन के प्रसार के लिए... आयकर विभाग द्वारा अदालत में दायर जानकारी की जांच के लिए ईडी को अनुमति देने में कोई बाधा नहीं है।”
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया कि रिकॉर्ड आम जनता के लिए सार्वजनिक नहीं किए जाएंगे, ईडी केवल जांच के उद्देश्य से इनका इस्तेमाल कर सकती है ।
- ईडी को अदालत के रिकॉर्ड की जांच करने की अनुमति मिल गई है ताकि टैक्स चोरी और विदेशी संपत्तियों की जांच जारी रखी जा सके ।
- गोपनीय डेटा का सार्वजनिक प्रसार वर्जित रहेगा, जब तक अदालत अनुमति न दे।
- यह फैसला भविष्य में सरकारी एजेंसियों को अंतरराष्ट्रीय साक्ष्य तक पहुंच के नियम देता है, बगैर संधि का उल्लंघन किए।
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न्यायमूर्ति त्रिभुवन दहिया ने निष्कर्ष निकाला:
“अगर किसी नागरिक या संस्था को किसी बैंक खाते के बारे में अपराध की जानकारी है, तो उसे राज्य को जानकारी देनी चाहिए, और राज्य को इसकी जांच करने की जिम्मेदारी है।”
केस का शीर्षक: अमरिंदर सिंह और रणइंदर सिंह बनाम आयकर विभाग व अन्य
केस संख्या: CRM-M-37200-2021, CRM-M-37204-2021, CRM-M-37207-2021