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1971 की सेल डीड पर दर्ज FIR में सुप्रीम कोर्ट ने वकील को फटकार लगाई, 71 वर्षीय महिला की गिरफ्तारी रोकी

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने 71 वर्षीय उषा मिश्रा की गिरफ्तारी रोकी, 1971 सेल डीड पर 2023 की FIR पर सवाल, वकील को चेतावनी।

1971 की सेल डीड पर दर्ज FIR में सुप्रीम कोर्ट ने वकील को फटकार लगाई, 71 वर्षीय महिला की गिरफ्तारी रोकी

17 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने 54 साल पुराने संपत्ति दस्तावेज़ पर आधारित ताज़ा आपराधिक मामले पर कड़ी टिप्पणी की। न्यायमूर्ति सूर्यकांत, उज्जल भुयान और नोंगमेइकपम कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 71 वर्षीय उषा मिश्रा की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए इस केस को “कानून की प्रक्रिया का स्पष्ट दुरुपयोग” बताया।

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पृष्ठभूमि

विवाद तब शुरू हुआ जब एक वकील ने 2023 में 21 अगस्त 1971 की सेल डीड में जालसाजी का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई। मिश्रा, जो उस लेनदेन की न तो खरीदार थीं, न विक्रेता, न गवाह और न ही लाभार्थी, अचानक आरोपी बना दी गईं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम ज़मानत की याचिका लापरवाही से खारिज कर दी, जिसके बाद वे सुरक्षा की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुँचीं।

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अदालत की टिप्पणियाँ

सुनवाई के दौरान पीठ ने हाईकोर्ट के रवैये पर आश्चर्य और नाराज़गी जताई। न्यायाधीशों ने कहा, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तर्कहीन तरीके से 71 वर्षीय महिला की अग्रिम ज़मानत की प्रार्थना ठुकरा दी।” उन्होंने यह भी नोट किया कि मिश्रा और दशकों पुरानी सेल डीड के बीच कोई तार्किक संबंध नहीं है।

अदालत ने शिकायतकर्ता के आचरण को भी गंभीरता से लिया। जिस वकील ने यह एफआईआर दर्ज कराई, वह नोटिस लेने से बचते पाए गए। पीठ ने आदेश दिया, “प्रतिवादी संख्या 2 की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए 10,000 रुपये के जमानती वारंट जारी किए जाएँ… यदि नोटिस स्वीकारने में कोई अनिच्छा दिखती है, तो उसकी उपस्थिति गैर-जमानती वारंट के माध्यम से सुनिश्चित की जाएगी।”

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निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने मिश्रा की गिरफ्तारी पर तुरंत रोक लगाते हुए स्थानीय थाना प्रभारी को एफआईआर के मूल रिकॉर्ड पेश करने और यह बताने का निर्देश दिया कि क्यों यह कार्यवाही-“प्रथम दृष्टया कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग”-रद्द न की जाए। साथ ही वकील-शिकायतकर्ता को भी यह दिखाने को कहा गया कि एक वरिष्ठ नागरिक को बेबुनियाद केस में घसीटने के लिए उस पर उदाहरणीय जुर्माना क्यों न लगाया जाए।

मामले की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर 2025 को निर्धारित की गई है, जब अदालत एफआईआर रद्द करने और शिकायतकर्ता पर जुर्माने के संभावित आदेश पर फैसला करेगी।

मामला: उषा मिश्रा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य

मामला संख्या: विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक अपील) संख्या 9346/2025

अगली सुनवाई: 8 अक्टूबर 2025

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