भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 30 जुलाई 2025 को राज कुमार भारती व अन्य द्वारा दाखिल विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज कर दिया। यह याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय के दिनांक 3 जुलाई 2025 को Writ C No. 6490/2025 में दिए गए आदेश के खिलाफ दाखिल की गई थी।
याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय के उस निर्णय को चुनौती दी थी जिसमें उन्हें बेदखल करने या उनके परिसरों को गिराने के निर्देश दिए गए थे और उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की थी।
यह मामला माननीय न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी और माननीय न्यायमूर्ति विजय विश्नोई की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री संजय हेगड़े और उनकी कानूनी टीम ने बहस प्रस्तुत की, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इस स्तर पर विशेष अनुमति याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
“इस स्तर पर हम वर्तमान विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं,”– सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अपने आदेश में कहा।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, याचिकाकर्ताओं के वकील ने निवेदन किया कि उन्हें परिसर खाली करने के लिए कुछ समय दिया जाए ताकि गिराने की कार्रवाई से पहले वह निकल सकें।
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष इस संबंध में आवेदन करने की छूट दी।
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“ऐसा आवेदन दायर करने पर उच्च न्यायालय उसे कानून के अनुसार देखे और उचित आदेश पारित करे,”– सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया।
हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी, फिर भी उसने याचिकाकर्ताओं को बेदखली की समय सीमा के संबंध में उच्च न्यायालय से राहत पाने का विकल्प खुला छोड़ा। यह मामला दर्शाता है कि अदालत कानून प्रक्रिया का पालन करते हुए मानवीय पक्षों का भी ध्यान रखती है।
केस का नाम: राज कुमार भारती एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य