29 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) द्वारा भारत सरकार के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी। यह मामला रिट याचिका (सिविल) संख्या 1373/2018 के रूप में पंजीकृत था और यह पीआईएल-डब्ल्यू अनुभाग के तहत सूचीबद्ध था।
यह मामला न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ के समक्ष आया।
“सीखवान सॉलिसिटर जनरल ने प्रार्थना की कि उन्हें इस मामले में तैयार होने और लिखित प्रस्तुति दायर करने के लिए एक और अवसर दिया जाए।”— सुप्रीम कोर्ट आदेश, दिनांक 29 जुलाई 2025
सीपीआईएल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री प्रशांत भूषण और श्री अनुराग तिवारी उपस्थित हुए। भारत सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल श्री तुषार मेहता ने पक्ष रखा, जिनकी सहायता अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल श्रीमती ऐश्वर्या भाटी और अन्य कानूनी अधिकारियों ने की।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने लिखित दलीलें तैयार करने के लिए अधिक समय मांगा।
कोर्ट ने यह अनुरोध स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई 5 अगस्त 2025 तक के लिए स्थगित कर दी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मामला नए मामलों की सुनवाई के तुरंत बाद लिया जाएगा।
प्रमुख कानूनी प्रतिनिधित्व:
- याचिकाकर्ता (सीपीआईएल) की ओर से:
- श्री प्रशांत भूषण, एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड
- श्री अनुराग तिवारी, अधिवक्ता
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- प्रतिवादी (भारत सरकार) की ओर से:
- श्री तुषार मेहता, सॉलिसिटर जनरल
- श्रीमती ऐश्वर्या भाटी, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल
- श्री कनु अग्रवाल, श्री रजत नायर, श्रीमती रेखा पांडे, श्री अंकुर तलवार, सुश्री श्रद्धा देशमुख, श्रीमती संस्कृति पाठक, श्री रमन यादव
- श्री श्रीकांत नीलप्पा तेर्डाल, एओआर
मामले का नाम: सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन बनाम भारत संघ
(रिट याचिका (सिविल) संख्या 1373/2018)