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एनडीपीएस मामले में लंबे ट्रायल विलंब पर सुप्रीम कोर्ट ने टिंकू शेख को दी जमानत, कहा अनावश्यक हिरासत बर्दाश्त नहीं

Vivek G.

टिंकू एसके @ टिंकू सेख बनाम पश्चिम बंगाल राज्य, सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल में देरी और गवाहों की जांच न होने का हवाला देते हुए NDPS केस में टिंकू सेख को ज़मानत दे दी है। मुख्य बातें और फ़ैसले की पूरी समरी पढ़ें।

एनडीपीएस मामले में लंबे ट्रायल विलंब पर सुप्रीम कोर्ट ने टिंकू शेख को दी जमानत, कहा अनावश्यक हिरासत बर्दाश्त नहीं

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक संक्षिप्त लेकिन महत्वपूर्ण आदेश में टिंकू SK @ टिंकू शेख की जमानत याचिका स्वीकार कर ली, जो एनडीपीएस अधिनियम के गंभीर आरोपों के तहत लंबे समय से जेल में थे। कोर्ट नंबर 16 में हुई सुनवाई के दौरान बेंच ट्रायल की धीमी प्रगति को लेकर चिंतित दिखाई दी और मामले पर व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया।

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पृष्ठभूमि

टिंकू शेख को एनडीपीएस अधिनियम की धारा 21(C) और 29 के तहत गिरफ्तार किया गया था—ये प्रावधान व्यावसायिक मात्रा में नशीले पदार्थ रखने और साजिश से संबंधित अपराधों पर लागू होते हैं। उनके जमानत आवेदन पहले ट्रायल कोर्ट और बाद में कलकत्ता हाई कोर्ट ने खारिज कर दिए थे, जिसने निरंतर हिरासत को सही ठहराया था।

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जब मामला सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका के माध्यम से पहुंचा, तब तक कई प्रक्रियात्मक चरण पूरे हो चुके थे। चार्जशीट दाखिल हो चुकी थी, आरोप तय हो चुके थे, लेकिन एक भी गवाह की गवाही शुरू नहीं हुई थी। यही तथ्य सुनवाई के दौरान निर्णायक साबित हुआ।

कोर्ट की टिप्पणियाँ

जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें ध्यान से सुनीं। याचिकाकर्ता के वकील, सौम्य दत्ता के नेतृत्व में, ने तर्क दिया कि मामला बेहद धीमी गति से आगे बढ़ रहा है और आरोपी को अनिश्चितकाल तक जेल में रखना किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करता। राज्य ने जमानत का विरोध किया, लेकिन गवाहों की देरी से गवाही शुरू होने से इनकार नहीं किया।

सुनवाई के दौरान बेंच की एक अहम टिप्पणी उभरकर सामने आई:
“चार्जशीट दर्ज है, आरोप तय हैं, और किसी भी गवाह की गवाही नहीं हुई है,” जजों ने कहा, यह संकेत देते हुए कि ऐसी परिस्थितियों में आगे की हिरासत उचित नहीं है।

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मेरे पास बैठे एक वकील ने धीमी आवाज़ में कहा, “ये क्लासिक देरी का मामला है; कोर्ट अनावश्यक जेल को बर्दाश्त नहीं करेगी,” जो कोर्टरूम के माहौल को दर्शाता था। बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि वह मामले के मेरिट पर टिप्पणी नहीं कर रही, लेकिन प्रगति की कमी बेहद महत्वपूर्ण थी।

निर्णय

अंततः सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करते हुए टिंकू शेख को नियमित जमानत दे दी। impugned आदेश को रद्द कर दिया गया और अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा करने के निर्देश दिए गए, बशर्ते कि ट्रायल कोर्ट आवश्यक शर्तें तय करे। अपील स्पष्ट शब्दों में मंजूर की गई और लंबित आवेदनों का भी निपटारा कर दिया गया।

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इस प्रकार, कोर्ट ने अपने निर्णय को देरी और इस सिद्धांत पर आधारित रखते हुए मामला समाप्त किया कि दोषसिद्धि से पहले हिरासत सज़ा में नहीं बदलनी चाहिए।

Case Title: Tinku SK @ Tinku Sekh vs. State of West Bengal

Court: Supreme Court of India

Jurisdiction: Criminal Appellate Jurisdiction

Case Type: Criminal Appeal arising from SLP (Crl.) No. 13997/2025

Impugned Order: Calcutta High Court order dated 02 July 2025

Date of SC Order: 17 November 2025

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